इस रात के सूने आंचल में
सहर सोई लगती है
हर चीज मुझे अपनी ही क्यों
अपने से पराई लगती है...
2.
किसी से उधार मांग कर लाई थी
जिंदगी
वो भी किसी के पास गिरवी रख दी.
3.
नींद नहीं आ रही...
कौन है
जो इतनी रात गए
मेरे लिए जाग रहा है...
4.
जब पूरे अमावस की रात
तुम्हे पागलो की तरह
ढूंढ रही थी
उस रात
तुम कहां थे चांद ???????
सहर सोई लगती है
हर चीज मुझे अपनी ही क्यों
अपने से पराई लगती है...
2.
किसी से उधार मांग कर लाई थी
जिंदगी
वो भी किसी के पास गिरवी रख दी.
3.
नींद नहीं आ रही...
कौन है
जो इतनी रात गए
मेरे लिए जाग रहा है...
4.
जब पूरे अमावस की रात
तुम्हे पागलो की तरह
ढूंढ रही थी
उस रात
तुम कहां थे चांद ???????
17 टिप्पणियाँ:
खो गया है मेरा चांद,
ढूंढता हूं मैं मेरा चांद,
खो गया है, खो गया है मेरा चांद...
जय हिंद...
हिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में इस नये ब्लॉग का और आपका मैं संजय भास्कर हार्दिक स्वागत करता हूँ.
यहाँ आना सार्थक रहा ... शुभकामनाएं !
जब पूरे अमावस की रात
तुम्हे पागलो की तरह
ढूंढ रही थी
उस रात
तुम कहां थे चांद ???????
-अह्हआआअ.....वाह!!
उस रात
तुम कहां थे चांद ???????
jai baba banaras...
बड़ी सुन्दर अभिव्यक्तियाँ।
ये क्षणिकाएं ऐसी कि अनंत काल की संवेदना को जैसे अपने में समेट लें !
उफ़! आपका यह दीवानापन
अमावस की रात में भी चाँद को ढूँढना
उधार की जिंदगी भी गिरवी रख दी.
किसी से उधार मांग कर लाई थी
जिंदगी
वो भी किसी के पास गिरवी रख दी.
क्या बेहतरीन पंक्तियाँ लिखीं हैं... वाह!
तीन साल ब्लॉगिंग के पर आपके विचार का इंतज़ार है..
आभार
हर क्षणिका बहुत खूबसूरत ...खुशदीप जी का शुक्रिया जो उन्होंने यहाँ का पता बताया
असीमा भट्ट जी मैं भी एक पागल ही हूँ और आप जैसे पागल से खुशदीप जी मदद से मिल पाया हूँ ..इसलिए खुशदीप जी का सबसे पहले धन्यवाद....इस पागलपन को बनाये रखिये क्योकि ये पागलपन इंसानी संवेदना को बचाने का प्रयास कर रही है जिससे भ्रष्ट नेताओं के द्वारा देश बेचने तथा धनपशु उद्योगपतियों का देश व समाज का खून पिने के पागलपन के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी...
चांद है गुम और रात जवां, नींद किसे फिर होश कहाँ...
"मुझे ये पगली शब्द बहुत पसंद है..कुछ कुछ दीवानी सी."आपका परिचय ही दीवाना कर गया... :)
आपकी संवेदनशीलता आपकी कविताओं में झलक रही है। यही संवेदना इंसान को इंसान बनाए रखने में मदद करती है।
bhasha ki bhasha, aur rachana ki paribhasha , agar manobhavon ko jodati ho ,vah sarthak manohari kavy hai . thode shabdon ka bada prayan .
sadhuvad
Welcome to the blog world... i guess i m lucky to find dis lovely blog.. plsss keep writing coz m gettin da intuition dat i shall learn a lot frm u :)
असीमा, बहुत प्यार !
ये दुनिया तुझे जीने न देगी और तेरा खुदा तुझे मरने न देगा ! तू ही मीरा है ,तू ही लल्ला और तू ही राबिया ! सलाम तेरे पागलपन को !
एक टिप्पणी भेजें