असीमा
अमृता-इमरोज के प्रेम पत्र पढ रही हूं। इमरोज ने खुद संपादित की है। अमृता के बाद वो उनके खत के जरिए अपने आस-पास महसूस करते हैं। बहुत खूबसूरत अहसास है उन्हें पढना...
क्या था उन दोनों में जो एक दूसरे के इतने कायल थे, मुरीद थे। कहां से आते हैं एसे इनसान और कहां चले जाते हैं...
पढती हूं और रोती हूं...वो खुशी के आंसू हैं या गम के मालूम ही नहीं पड़ता...शायद दोनो मिक्स।
पर कमाल है। एक जगह अमृता लिखती हैं--मेरे अच्छे जीते..मेरे कहने से मेरे कमरे में और रेडियोग्राम पर एसडी वर्मन को सुनना..
सुन मेरे बंधु रे...
सुन मेरे मितवा
सुन मेरे साथी रे...।
और मुझे बताना वो लोग कैसे होते हैं जिन्हें कोई इस तरह आवाज देता है...
आह,,,,अमृता और इमरोज ने मेरे प्यार की प्यास को और बढा दिया। पर ये वो लोग क्या समझेंगे जो जेब में कंडोम लेकर घूमते हैं। उन्हें तो ये भी नहीं पता(शायद) कि अमृता और इमरोज कौन हैं. कहां हैं...
अमृता-इमरोज के प्रेम पत्र पढ रही हूं। इमरोज ने खुद संपादित की है। अमृता के बाद वो उनके खत के जरिए अपने आस-पास महसूस करते हैं। बहुत खूबसूरत अहसास है उन्हें पढना...
क्या था उन दोनों में जो एक दूसरे के इतने कायल थे, मुरीद थे। कहां से आते हैं एसे इनसान और कहां चले जाते हैं...
पढती हूं और रोती हूं...वो खुशी के आंसू हैं या गम के मालूम ही नहीं पड़ता...शायद दोनो मिक्स।
पर कमाल है। एक जगह अमृता लिखती हैं--मेरे अच्छे जीते..मेरे कहने से मेरे कमरे में और रेडियोग्राम पर एसडी वर्मन को सुनना..
सुन मेरे बंधु रे...
सुन मेरे मितवा
सुन मेरे साथी रे...।
और मुझे बताना वो लोग कैसे होते हैं जिन्हें कोई इस तरह आवाज देता है...
आह,,,,अमृता और इमरोज ने मेरे प्यार की प्यास को और बढा दिया। पर ये वो लोग क्या समझेंगे जो जेब में कंडोम लेकर घूमते हैं। उन्हें तो ये भी नहीं पता(शायद) कि अमृता और इमरोज कौन हैं. कहां हैं...